हवा में ज़हर, चिट्ठियों में कहर — यूपी में AQI से ज़्यादा गरम है पॉलिटिक्स

गौरव त्रिपाठी
गौरव त्रिपाठी

उत्तर प्रदेश की हवा में इन दिनों PM2.5 से भी महीन चीज़ तैर रही है — सियासत। एक तरफ़ AQI “Severe” मोड में है, दूसरी तरफ़ नेताओं की चिट्ठियाँ भी तूफ़ान मोड में।

डॉ. राजेश्वर सिंह द्वारा लिखी दो सरकारी चिट्ठियाँ सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं— एक स्वास्थ्य संकट को लेकर, दूसरी दिल्ली के AQI जैसे हालात UP में न बनने देने की चेतावनी के साथ।

जहाँ हवा में ऑक्सीजन कम, वहाँ राजनीति में ऑक्सीजन हमेशा Full Level होता है।

1. पहली चिट्ठी – ‘स्कूल बंद क्यों नहीं?’ प्रश्नकाल का प्रश्न, जन-भावना का बयान

पहली चिट्ठी में सवाल उठाया गया है कि जब प्रदूषण खतरनाक स्तर पर है, तो शिक्षा विभाग बच्चों का स्वास्थ्य भगवान भरोसे क्यों छोड़ रहा है?

मुख्य मुद्दे:

  • इतनी गंभीर AQI स्थिति में स्कूल क्यों खुले हैं?
  • अधिकारियों ने कोई ठोस कार्रवाई क्यों नहीं की?
  • बच्चों व शिक्षकों के स्वास्थ्य का जिम्मेदार कौन?

यानी भाषा सरल, मुद्दा कड़ा, और संकेत साफ़—AQI खराब, Accountability और खराब।

2. दूसरी चिट्ठी – ‘दिल्ली वाला हाल न हो जाए!’

CNN की रिपोर्ट के हवाले से लिखा गया कि दिल्ली में AQI 450+ पहुंच चुका है, और UP को भी सावधान रहना चाहिए।

मुख्य बिंदु- UP में 300–400 AQI वाली जगहें सामने आ रही हैं। पराली, कंस्ट्रक्शन डस्ट और लाखों गाड़ियों का धुंआ चिंता बढ़ा रहा है। ‘शीतकालीन कार्ययोजना’ लागू करने की सख्त जरूरत है। स्कूलों में बच्चों को AQI पर जागरूक करने की सलाह।

दिल्ली से हवा आए या राजनीति—दोनों UP में ट्रेंड पकड़ ही लेते हैं।

सबसे बड़ा सवाल — बच्चे क्या AQI ग्राफ देखकर स्कूल जाएँ?

बच्चों को अब ‘Weather Forecast’ के साथ ‘AQI Forecast’ भी देखना पड़ रहा है। माता-पिता रोज़ सुबह पूछते हैं- “बेटा, AQI 400 है… मास्क पहनकर जा रहा है या हम छुट्टी करा दें?”

स्कूलों के WhatsApp ग्रुप में भी अब Maths नहीं, AQI के ScreenShots घूम रहे हैं।

 प्रशासन की भूमिका — ‘Action Plan कब आएगा?’

चिट्ठियों में मांग की गई-Construction dust पर तत्काल रोक, ट्रैफिक कंट्रोल, Industries पर रीयल-टाइम मॉनिटरिंग, स्कूल बंदी पर स्पष्ट नीति।

यानी जनता की उम्मीद साफ़- हवा साफ करो… सिर्फ़ फाइलें नहीं।

हवा भी संभालनी है, बयान भी

प्रदूषण पूरे उत्तर भारत का shared problem है— पर समाधान केवल चिट्ठियों से नहीं, ground-level action से आएगा।

बच्चों की सुरक्षा, प्रशासन की जवाबदेही और पर्यावरण सुरक्षा— तीनों पर एक साथ काम करना होगा, तभी AQI और राजनीति दोनों संतुलित होंगी।

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